शुक्रवार, 15 जनवरी 2021

Taqdeer ke hathon sab kuch hai



क्या लिखा है कौन जाने। 


तक़दीर की कौन माने


हर वक़्त बेकरार है


सांसों में उभार है


रंजिशे बेशुमार है


जो वक़्त की पुकार है


उसी को दिल मान गया


आँसू छुपाना जान गया


बेते लम्हे यादों के


याद आए कड़वी बातों के 


सुने सुने घर बार हुए


अँधेरे ये संसार हुए


रक़्स करता है दिल जलाता है


ये मुक़द्दर क्या क्या दिखता है


क्यों न हो बातें अंजनी बेगानी


मस्तानी देवानी सैलानी


ग़म की लहर में


सांसों की कहर में


तेहरा हुआ हूँ मई


बे छाऊँ बे शजर में


खूब रुलाती है बातें बनती है


ज़िन्दगी क्या क्या सपने दिखती है


अंगारा है शरारा हैi 


हर कोई नसीब का मारा है


किसको जाके दर्द सुनाए


खुद आप ही रोते जाए


बे सबर हूँ मैं


बे खबर हूँ मैं


कोई नहीं सम्हाले गा


जो होना है हो जायेगा


बात कड़वी करना है


खुद अकेले मरना है


सफर पे निकले हैं


दामन हमारे गीले हैं


रोये बहुत आधी रात तक


ये सोंच सोंच कर 


तक़दीर के हाथों सब कुछ ह।।।। 


तक़दीर के हाथों सब कुछ ह।।।। 


(Mirza Akber Ali Bashar)

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