गुरुवार, 16 नवंबर 2023

Mujhe

 भूल जाऊं मै भला कैसे ये ग़म का मंज़र 

उसने बस छोड़ा नहीं था मुझे ठुकराया था 


बनके आंसू की तरह दिल ये हमारा यारा 

अपनी ही आँखों से एक बार उतर आया था 


दास्ताँ तुमको सुनाएंगे कभी फुर्सत से 

ठोकरे कितनी ज़माने से मै ये खाया था 


कूद जा तू भी ईमारत से या सूली छड़ जा 

इस तरह मौत ने हर बार ही ललचाया था 


बेकूदि भीड़ न समझेगी कभी भी मेरी 

एक तमाशा मुझे लोगो ने ही बनवाया था 


आज भी रोओगे हर शाम यही तो कह कर 

सरे बाज़ार बशर प्यार ने तड़पाया था 


गुरुवार, 18 नवंबर 2021

हड़कम

Chand ashaar jo ghazal ki shakal mein aaye hain use mulahiza farmaeye. jisme shayar ne badii dil joyi ke saath apne is be baak andaaz mein kuch shayr kahe hain

हड़कम मची है सीने में कोई उदास है 

इस वक़्त दिल को उससे ही मिलने की आस है


फीका है रंग फीकी है खुश्बू की वादियां 

अब आग में तपिश नहीं दरया को प्यास है


जैसे चिमटती जाती है लोहे से मक़नातिस 

बाँहों को ज़िन्दगी में उसी पल की आस है


चादर कहीं पड़ी हुवी तकया बिखर गया 

लगते हैं संग जैसे ये गरचे कपास है 


जानो जिसे ग़रीब तो फिर मानो बराबर 

ये हक़ जो जान जाये वही हक़ शिनास है 


अफ़सोस तेरे हाल पे बे ढंग ए बशर 

दिल की तरह फटा हुआ तेरा लिबास है


सोमवार, 10 मई 2021

Dar lagta hai...

दर लगता है दर लगता है 

हर ख़ुशी से ज़िन्दगी से 

बेरुकि से बेबसी से 

दर लगता है 

हर शाम से हर कलाम से 

रौशनी के हर मुक़ाम से 

दर लगता है 

दिल जलता है सीने में पिगलता है 

कभी धड़कता है रंग बदलता है 

दर लगता है 

कभी सांसों से कभी मरने से 

आँखों से किसी के उतरने से 

दर लगता है 

किसी का खोजाना किसी की नाराज़ी 

कोई पोछे अगर क्या है तेरा माज़ी 

दर लगता है 

तू मर क्यों नहीं जाता मर क्यों नहीं जाता 

ये बद दुआ कोई दे तो क्या होगा क्या होगा 

दर लगता है 

कभी अँधेरे से कभी हर रात से

कभी अपनों की मुलाक़ात से 

दर लगता है

आज़माएं किसको क्या देखे सपना 

दूँ किस को सदा कौन है अपना

दर लगता है 

रुक गयी सांसे होगया एक हशर 

मार्के के भी यही कहता रहा बशर 

दर लगता है.............

मंगलवार, 19 जनवरी 2021

Best poetry line for loneliness in Hindi

Hello Friends में आपके लिए एक नई ग़ज़ल लाया हूँ जिसका एक एक लफ्ज़ मेरी ज़िन्दगी की दास्ताँ बयां कर रहा है आप भी इसको पढ़े और मेरे जज़्बात से अपने जज़्बात मिलाए।  इसमें आपको एक ऐसी हकीकत मालूम होगी जो सच में इस दुनिया में रहती है उसका नाम है तन्हाई। मेरी इस नई Post को पढ़े और Share करें.



घेरे हुवे हैं मुझको मेरे चाहने वाले 

पर फिर भी मेरे दिल में क्यों तन्हाई है बहुत 


हालत हमारी हम पे न खाई कभी तरस 

हर मोड़ पर ज़माने की रुस्वाई है बहुत


अब अपना घर भी काटने को दौड़ रहा है 

अब अपना घर भी आप पे हरजाई है बहोत 


ज़ुल्मे ज़मन से आँखें मेरी सूख गयी है 

कहते है लोग आपकी बीनाई है बहुत


चरों तरफ है ज़ुल्म के ये नाम वर बहुत 

इज़्ज़त हमारी खौफ से थर्रायी है बहुत


खाकर खसम खुदा की ये कहता हूँ जानेमन 

हिजरत तुम्हारी मुझको ये तडपाई है बहुत


खूने वफ़ा से लिखोगे तो लोग कहेंगे 

मेहंदी तुह्मरे हाथ में रंग लाई है बहुत 


क्यों थक गए हो ज़िन्दगी से हार के बशर 

हिम्मत रखो यहाँ अभी रुस्वाई है बहुत


(Mirza Akber Ali Bashar)

रविवार, 17 जनवरी 2021

Best poetry about heart feelings " Tum to "

Hello दोस्तों आज की Post में एक ग़ज़ल पेशे खिदमत है जो मैंने लिखी है अगर आपको पसंद आए तो Share ज़रूर कीजिए। इस ग़ज़ल में दिल किस तरह दुखा क्या ग़म सहे और क्या तकलीफ बर्दाश्त की उसके बारे में मैंने तफ्सील से लिखा है। और इसका रदीफ़ बड़ा मज़ेदार है जो हर बार आता है " तुम तो " इस ग़ज़ल को पढ़िए और इसका आनंद लीजिए। 




दिल 💔 दुखा कर मेरा मुझको न मनाये तुम तो 

देके हर रंज मुझे खूब रुलाए 😭 तुम तो


क़त्ल का दूँ तुझे इलज़ाम 😞 तो कम न होगा 

आँख 🥺से मेरे लहू इतना गिराए तुम तो 


बीच में छोड़ 😦 गए वादा हश्र तक का किया 

तोड़ के वादा मेरी जान सताए 😧 तुम तो 


मे ये चाहता था के हम साथ 👫रहे शाम ऊ सहर 

दूरियों का जो बसेरा 😑 है बसाए तुम तो 


आके फिर से मेरी छोटी 👈 सी ज़िंदगानी में 

मेरे सोए हुवे अरमान 😦 जगाए तुम तो 


मुझको दिखला के हसीं ख्वाब 😣 खिलते गुलशन का 

मेरी राहों में सभी कांटे 👌 बिछाये तुम तो 


कैसे हस्ते हो 😄 बशर सारे सितम सहते हुवे 

अपने सीने पे बोज ग़म 😔 का उठाए तुम तो 

(Mirza Akber Ali Bashar)

शनिवार, 16 जनवरी 2021

Hasrat Shayari

Hello दोस्तों आपका हमारे नई Post पर स्वगत है, इस Post में आपको मिलेगी कुछ दर्द भरी बातें जिससे आप प्यार करते है अगर वो छोड़कर चली जाए तो उससे जब कहीं मुलाक़ात होजाए या आपका नाम उसने कहीं सुना हो तो उसका क्या Reaction होग। उसके सम्बन्ध में कुछ अशआर आपकी पेशे खिदमत है. अगर ये शायरी पसंद आए तो अपने दोस्तों के साथ Share करना न भूलें.



मे जो कहता हो वही रूह की हसरत होगी 

आज भी उसको मेरे नाम से नफरत होगी 


ज़िक्र चिढ़ता है कभी महफिले यारो में मेरा  

आज भी उसको मेरे ज़िक्र से वेह्शत होगी


मुझको बर्बाद जो करदे वो उसे जान भी देदे 

मेरे दुश्मन से उसे ऐसी मोहब्बत होगी 


मेरा क़ातिल है वो खातील है मेरा टूटे दिल 

उसको दुनिया में मेरे क़त्ल से शोहरत होगी 


दिल में जो दर्द है ख़ालिक़ पे अयाँ है मेरे 

मे अगर खुल के बयाँ करदूँ क़यामत होगी 


मेरी नज़रें भी झुगी रहती है आने पे तेरे 

तू यही सोंच के क्या मेरी शराफत होगी 


आके लग जाए गले मुझसे मेरी मेहबूबा 

सच होजाए जो ये बात करामात होगी 


क्यों मुझे देख के अनजान तू होजाती है 

मुझ पे पड जाए नज़र तेरी इनायत होगी 


तुम सक़ी हो जो मोहब्बत में बताओ मुझको

प्यार से देख मुझे तेरी सक़ावत होगी 


मर गए प्यार में हम तेरे सनम एक दिन तो 

वो मेरा मरना नहीं मेरी शहादत होगी 


तू नगीना है ज़रा खीमती ज़ेवर में सभी  

सोंचता हूँ मे तेरी कैसे हिफाज़त होगी 

 

इश्क़ में हरा हुआ है ये बशर देखो तो 

अब किसी और से उसको न मोहब्बत होगी 

(Mirza Akber Ali Bashar)

शुक्रवार, 15 जनवरी 2021

Taqdeer ke hathon sab kuch hai



क्या लिखा है कौन जाने। 


तक़दीर की कौन माने


हर वक़्त बेकरार है


सांसों में उभार है


रंजिशे बेशुमार है


जो वक़्त की पुकार है


उसी को दिल मान गया


आँसू छुपाना जान गया


बेते लम्हे यादों के


याद आए कड़वी बातों के 


सुने सुने घर बार हुए


अँधेरे ये संसार हुए


रक़्स करता है दिल जलाता है


ये मुक़द्दर क्या क्या दिखता है


क्यों न हो बातें अंजनी बेगानी


मस्तानी देवानी सैलानी


ग़म की लहर में


सांसों की कहर में


तेहरा हुआ हूँ मई


बे छाऊँ बे शजर में


खूब रुलाती है बातें बनती है


ज़िन्दगी क्या क्या सपने दिखती है


अंगारा है शरारा हैi 


हर कोई नसीब का मारा है


किसको जाके दर्द सुनाए


खुद आप ही रोते जाए


बे सबर हूँ मैं


बे खबर हूँ मैं


कोई नहीं सम्हाले गा


जो होना है हो जायेगा


बात कड़वी करना है


खुद अकेले मरना है


सफर पे निकले हैं


दामन हमारे गीले हैं


रोये बहुत आधी रात तक


ये सोंच सोंच कर 


तक़दीर के हाथों सब कुछ ह।।।। 


तक़दीर के हाथों सब कुछ ह।।।। 


(Mirza Akber Ali Bashar)

Patang bazi

                                 
    

                                           


Nazar aayi wo lehrati wo balkhati hawao'n mein

bandhi ek door se hathon mein thi aur thi nighaho'n mein

Bhara hai aasma'n sara patango'n ki hai aabaadi

patang bazi patang bazi patang bazi patang bazi


Bana hai kaghaz o ladki mein tera ye badan sara

ye karigar ne hatho'n se tujhe rango'n mein hai dhala

rakhe hain naam tere sab ne kya kya sonch matwali


kabhi is chat se udti hai kabhi us chat se udti hai

kabhi penche ladati hai patango'n se tu judti hai

patang walo'n ne phirki se karadi hai teri shadi


khushi ke mouqe lati hai sabhi ko tu hasati hai

agar tu chote hatho'n se to bacho'n ko rulati hai

samhalo'n haath kat jaenge kehti hai meri dadi


ye til sankranti Bharat ki hamare jaan hai yaro

ye til ke laddo ye chura to iski  shaan hai yaro

Bashar ye bhai chare ki badi pehchaan keh layi


(Mirza Akber Ali Bashar)


मंगलवार, 12 जनवरी 2021

Shadi biyah aur khana abadi





Shadi aik aisa bandhan

jisme shamil hai tan man

jisme rehta hai dulha

jisme rehti hai dulhan

koi deta hai ake badhayi

koi leta hai ake balayi

bahare bhi has ke pukare

zamee'n par utar aye taare

mubarak ho dulha o dulhan

mubarak ho shadi ka bandhan

nibhaye hai dono ne rasmein

ye khayi hai dono ne qasmein

rahenge sada saath hi hum

gawah hai ye duniya ye aalam

widayi ki gadiya'n hai aayi

huwi maa se beti parayi

kahin baap kehta rokar yahi

meri jaan o dil meri ladli

kahin bhai rota hai chupke

chupata hai anso'n ko apne

chodhke jati hai betiya'n

kar ke suna gharo'n ko yaha'n

chali ghar se dulhan

shadi aik aisa bandhan


(Mirza Akber Ali Bashar)


रविवार, 10 जनवरी 2021

Tod jate hai sab hi ahed(promise) jo kiya




                                                                                                   

Tod jate hai sab hi ahed(promise) jo kiya

hum to bas sonchte hai ke kya hogaya


sirf wada nahi todta hai koi

todta hai kabhi dil kabhi housla


jo bhi khata hai qasmein har ek baat par

unki fitrat se chalke faraib aur jafa


jaise chadta hai daulat ka sab ko nasha

aisa alam to mai(alchohol) peeke bhi na hua


zindagi bhar andhero'n mein bhatka hoon mai

roshni se ho shikwa gila kyun bhala


ab Bashar ki kahani pe ro lijiye

gar tumhe aye rona to rolo zara


(Mirza Akber Ali Bashar)

शनिवार, 9 जनवरी 2021

Tum jane kyun mujhse bezaar hogaye







Bezaar


Tum jane kyun mujhse bezaar hogaye


Barso bitaye waqt hamari hi baho'n mein

har waqt mai to rehta the teri nighaho'n mein

hota tha thoda door to bechain rehte the

ab naam mera lete ho kyun bad duao'n mein


ek baar mujhse kehte ke hai kya meri khata

teri khasam mai kehta wo mujhpar hai guzri kya

bin puche mera haal mere dil ki daasta'n

tumne to mera naam hi rakh dala bewafa


Pocho to kaise beete ye din raat tere bin

budha mai lagraha hoon jawani ka par hai sin

aye dard to hai mout to tujhse hai ilteja

mere badan se rooh ko aise tu ab na chin


rangeen zindagani thi ek aisa daur tha

teri meri kahani ka khissa hi aur tha

ab to Bashar ke naam se chid jate ho sanam

milte hi rehna apni mohabbat ka taur(condition) tha


(Mirza Akber Ali Bashar)

शुक्रवार, 8 जनवरी 2021

Zindagi beeti baha kar aansu




                                               

Zindagi beeti baha kar aansu

har khushi ruthi dikha kar aansu


hota mumkin to sanam tohfe mein

bhejta tujhko saja kar aansu


kaise niklenge bhala mehfil mein

mai bahata hoon chupa kar aansu


ab meri ankhein sanam furqat mein

khoon uglegi bana kar aansu


lut gaya sab to Bashar ne rakha

apni ghurbat mein bacha kar aansu

बुधवार, 6 जनवरी 2021

Batara raha hai ye chehra bahot udaas hoon mai




                                                                                                   

Batara raha hai ye chehra bahot udaas hoon mai 

Laga hai khushiyon pe pehra bahot udaas hoon mai 

 

Mera naseeb ke darwaze par khade rehna

Na mil saka jo mujhe wo tamannaye karna

Gila hai ye hi ziyada bahot udaas hoon mai 

 

Kiya hai maine bhi aksar ye paintra yaaro

Hasa hoon gham mein khud apne Mai bar'ha yaaro

Yahi raha hai natija bahot udaas hoon mai 


Kabhi jo mujhko mayassar hua hai ek mouqa

to maine sun liya sab dil ke maro'n ka qissa 

magar ye keh nahi paya bahot udaas hoon mai


Mai has raha hoon sabhi gham chupa ke apne Bashar

guzarti kya hai ye dil pe nahi kisi ko khabar

kisi ne ye nahi dekha bahot udaas hoon mai


(Mirza Akber Ali Bashar)